गोविंदा के डाउनफॉल पर बोलीं पत्नी सुनीता:कहा- उनके आसपास के लोग चापलूस हैं, पैसों के लिए हां में हां मिलाते हैं

अभिनेता गोविंदा की पत्नी सुनीता आहूजा ने कहा कि वे अपने पति के राजनीति में शामिल होने के खिलाफ थीं। सुनीता ने बताया कि उन्हें अपने पति गोविंदा का राजनीति में आना पसंद नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों अलग-अलग घरों में क्यों रहते थे। साथ ही गोविंदा की पत्नी सुनीता ने कहा कि गोविंदा गलत संगत में हैं, जहां लोग उन्हें सच्चाई नहीं बताते। सुनीता ने कहा कि उनके आसपास के लोग चापलूस हैं, जो सिर्फ पैसों के लिए हां में हां मिलाते हैं, जिसका उनका करियर बर्बाद हो रहा है। भाई की बात मानकर राजनीति में आए थे गोविंदा जूम चैनल को दिए एक इंटरव्यू में बात करते हुए सुनीता ने साफ कहा कि वो गोविंदा के राजनीति में आने से बिल्कुल खुश नहीं थी। उन्होंने बताया कि गोविंदा ने अपने भाई की बात मानकर राजनीति जॉइन की थी, लेकिन सुनीता ने हमेशा उन्हें समझाया कि वे अपने काम पर ध्यान दें और राजनीति उनका काम नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैंने कई एक्टर देखे हैं, लेकिन सभी सब कुछ नहीं संभाल सकते। अगर वह संसद नहीं गए, तो लोग बातें करेंगे। वही हुआ। मैंने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी। इसका असर हमारे बेटे की स्कूल लाइफ पर पड़ा। हमें सिक्योरिटी तक लगानी पड़ी।” राजनीति का असर बेटे की लाइफ पर पड़ा सुनीता ने बताया कि वो खुद अपनी सुरक्षा संभाल सकती हैं। सुनीता ने कहा, ‘उन्होंने मुझसे भी कहा कि मैं कड़ी सुरक्षा में रहूं, लेकिन मैंने कहा कि मुझे किसी की सलाह की जरूरत नहीं है, मैं अपनी सुरक्षा खुद कर सकती हूं। मैं बंद होकर, कैदी जैसी जिंदगी नहीं जीना चाहती। मुझे बाहर घूमना अच्छा लगता है, जिंदगी को खुलकर जीना पसंद है और किसी बंधन में नहीं रहना चाहती। जब बच्चे अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर पाते, तो इसका उनके दिमाग पर असर होता है। मेरे बेटे यश का बचपन भी ऐसे ही बीता, जो ठीक नहीं था।’ गोविंदा के करियर को लेकर भी कहा सुनीता ने बताया कि उन्हें गोविंदा की फिल्मों की बहुत याद आती है। उन्होंने कहा, ‘आज भी मेरी बेटी, बेटा और मैं, सब उन्हें स्क्रीन पर देखना चाहते हैं, लेकिन फिर मैं कहती हूं – ‘अच्छी संगत में बैठो। तुम्हारे आसपास के लोग तुम्हें सच्चाई नहीं बता रहे।’ उन्होंने आगे कहा, ‘ये लोग दोस्त नहीं, चापलूस हैं। हर बात में हां में हां मिलाते हैं, बस पैसे के लिए। आपको ऐसे लोगों की जरूरत है जो आपको सच बताएं।’ उन्होंने साफ कहा कि उनके आसपास जो लोग हैं, वो दोस्त नहीं, बस चापलूस हैं। हर बात में हां में हां मिलाते हैं क्योंकि उन्हें पैसे मिलते हैं। और इसी वजह से वो उनका करियर बर्बाद कर रहे हैं। सुनीता ने अपनी बेबाकी के बारे में कहा, “मैं जब सच बोलती हूं तो लोगों को चिढ़ होती है क्योंकि मैं हमेशा मुंह पर बोलती हूं, पीठ पीछे नहीं। जो दिल में होता है, वही बोलती हूं, लेकिन यही बात उनके चमचों को पसंद नहीं आती।” 90s की फिल्म अब नहीं चला सकती उन्होंने गोविंदा के कुछ करीबियों पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘अगर गोविंदा आपको फाइनेंशियली मदद कर रहे हैं, तो आप उनका नुकसान क्यों कर रहे हो? उन्हें सही रास्ता दिखाओ। ये 2025 है, अब 90 के दशक की फिल्में नहीं चलतीं। आजकल की फिल्में भी नहीं चल रहीं। ऐसे में अगर आप पुराने स्टाइल की फिल्म बनाओगे, तो कोई नहीं देखेगा।’ सुनीता का कहना है, ‘गोविंदा के दिमाग में लोग बस तारीफ करते हैं, लेकिन सच्ची बात कोई नहीं करता। ये लोग पैसे के लिए उनके करियर के साथ खेल रहे हैं। वो एक लेजेंड हैं और आज घर पर बैठे हैं। हमें बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।” उन्होंने कहा, ‘कोई उन्हें ये नहीं बोलता कि आप वजन कम करो, आप स्मार्ट लगो। सब बस वाहवाही में लगे हैं, लेकिन सच्ची वाहवाही वो होती है जो दिल से मिले।’ सुनीता ने यह भी कहा, ‘मुझे लगता है, जो सच बोलता है, उसकी बात सुननी चाहिए। इंडस्ट्री में कुछ एक्टर्स को वाहवाही सुनने की आदत हो जाती है, लेकिन वो वाहवाही सच्ची होनी चाहिए। जब गोविंदा ने 90s में काम किया, तब वाहवाही का हकदार थे और आज भी मैं कहती हूं- गोविंदा जैसा एक्टर कोई नहीं है। वो एक लीजेंड हैं, लेकिन अब उन्हें अच्छी फिल्में करनी होंगी, अच्छे डायरेक्टर और अच्छी स्क्रिप्ट के साथ। यही कमी है।” उन्होंने कहा, ‘इंडस्ट्री में सच्चे दोस्त बहुत जरूरी होते हैं, लेकिन उनके आसपास जो लोग हैं, वो उन्हें सही नहीं सीखा रहे। चमचे बने बैठे हैं, चाहे वो राइटर हो, सिंगर हो, या सेक्रेटरी। ये लोग उनके करियर को नुकसान पहुंचा रहे हैं। गोविंदा का डाउनफॉल हो रहा है और इसकी वजह ये लोग हैं।’ अलग-अलग रहने का फैसला किया था अलग रहने की अफवाहों पर बात करते हुए सुनीता ने कहा, “मैं उस वक्त बिल्कुल भी खुश नहीं थी, लेकिन गोविंदा गलत लोगों की बातें सुनते हैं। उसी समय हमने सोचा कि बच्चों को थोड़ी आजादी मिले, इसलिए अलग-अलग रहने का फैसला किया था। जब वो सांसद बने, तब हम सब एक फ्लैट में रहते थे। मैंने उनसे कहा कि अगल-बगल एक और घर ले लो, जहां उनकी मीटिंग्स हो सकें। तभी लोगों ने पूछना शुरू कर दिया कि हम अलग क्यों रह रहते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, “हम अलग नहीं रहते। बात बस इतनी थी कि नेताओं के यहां बहुत लोग आते हैं, और हमारी बेटी बड़ी हो रही थी, तो मैं उस माहौल को संभाल नहीं पा रही थी। मैंने गोविंदा से कहा कि पास में एक बंगला ले लो, जहां वो अपने काम कर सकें और फिर हमारे पास लौट आएं, लेकिन मीडिया ने इसे गलत तरीके से दिखाया, जैसे मैं गोविंदा से अलग रह रही हूं। मैंने कुछ गलत नहीं कहा। हमारा घर छोटा था और इतनी भीड़ में बच्चे ठीक से टीवी तक नहीं देख पाते थे। मैंने सलाह दी कि एक बड़ा घर ले लें, और हमने वही किया।”

बॉलीवुड | दैनिक भास्कर

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