मेरे अंदर एक्टर वाला एलिमेंट नहीं है- पंकज त्रिपाठी:क्रिमिनल जस्टिस 4 में श्वेता और सुरवीन के साथ एक्टर की जबरदस्त टक्कर, 29 मई को होगी रिलीज

पंकज त्रिपाठी और श्वेता बसु की जोड़ी 29 मई को वेब सीरीज ‘क्रिमिनल जस्टिस’ का चौथा सीजन लेकर आ रहे हैं। इस बार इसमें उनके साथ दिखेंगी एक्ट्रेस सुरवीन चावला। इस शो का पहला सीजन साल 2019 में आया था। 7 साल बाद भी इस लीगल ड्रामा को लेकर ऑडियंस में क्रेज बरकरार है। हर सीजन में माधव मिश्रा के किरदार को ऑडियंस का खूब प्यार मिला है। पंकज त्रिपाठी और श्वेता बसु को ऑन स्क्रीन दांव पेंच को ऑडियंस ने तीसरे सीजन में खूब पसंद किया था। दैनिक भास्कर से कलाकारों ने शो और किरदारों को लेकर बातचीत की है। पंकज, आपके चेहरे में आम आदमी वाला एहसास है, जिससे हर कोई कनेक्ट हो जाता है। इस बात को मेंटेन करना कितना मुश्किल है? बहुत मुश्किल नहीं है। मेरे जैसा होने के लिए एफर्ट लगाने की जरूरत नहीं होती है। मैं रील और रियल दोनों जगह इस चीज को मेंटेन करता हूं। मेरे साथ दूसरी चुनौतियां हैं। मैं एक्टर हूं और मेरे अंदर वो एक्टर वाला एलिमेंट क्यों नहीं आता है? मेरे अंदर क्या केमिकल लोचा है। मूडी, थोड़ा गुस्सैल, स्टाइलिश, एटीट्यूड दिखाना, ये सब एक्टर एलिमेंट होते हैं। मेरे अंदर ये बात आज तक नहीं आ पाई। मैं बहुत बोरिंग इंसान हूं। मेरी वाइफ को भी बोरिंग इंसान लगता हूं। श्वेता, क्रिमिनल जस्टिस में आपने एक तेज तर्रार प्रॉसिक्यूटर का रोल निभाया है। इसके लिए क्या तैयारियां रहीं? मैं हर किरदार के लिए एक बेसिक तैयारी करती हूं और एक बैक स्टोरी लिखती हूं। सीजन 3 में मैंने किरदार अगस्त्य के लिए भी लिखा था कि वो कहां पली-बढ़ी है। पेरेंट्स के साथ रिश्ते कैसे हैं, दोस्त कैसे हैं, पढ़ाई कितनी की है? उसे किस तरह का म्यूजिक पसंद है, किन रंगों के कपड़े पहनती है। मेरे लिए किरदार को स्क्रिप्ट के अलावा जानना बहुत जरूरी होता है। अगर बतौर एक्टर में उस किरदार को नहीं जानती हूं फिर मेरे लिए उसे ऑडियंस के सामने लाना बहुत मुश्किल होगा। मैंने कभी थियेटर नहीं किया है लेकिन करना चाहती हूं। मुझे लाइव परफॉर्मिंग आर्ट देखना बहुत पसंद है। क्रिमिनल जस्टिस मेरे लिए पहला एक्सपीरियंस है, जिसका थिएट्रिकल सेटअप है। मेरे लंबे और ब्लॉकिंग सीन्स हैं। इस में लंबे मोनोलॉग हैं। लाइन्स बहुत टेक्निकल हैं। इन सारी बातों का मैंने खूब फायदा उठाया है। मेरी कोशिश रहती है कि जब मेरे पास स्क्रिप्ट आ जाए तो मैं उसे बार-बार पढ़ूं। जैसे खाने को बनाने से पहले मैरिनेट करते हैं, वैसे ही मैं सेट पर मैरिनेट होकर पहुंचती हूं। पंकज के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? श्वेता- पंकज जी सीनियर और दिग्गज एक्टर हैं। इसके अलावा कमाल के को एक्टर और इंसान भी हैं। सेट पर इनके साथ काफी पढ़ाई, म्यूजिक और लाइफ के बारे में अच्छी बातें होती हैं। इनके अंदर कोई एटीट्यूड, गुस्सा या नखरे नहीं हैं। एक तरह से बहुत बोरिंग इंसान हैं। ये सिर्फ शास्त्रीय संगीत, लिटरेचर पर बात करते हैं। सुरवीन आपका किरदार बहुत लेयर्ड है। इस किरदार से निकलने में कितनी मुश्किल हुई? मेरे साथ ऐसा है कि मैं जब तक किसी रोल को निभा रही होती हूं, वो मेरे अंदर रहता है। जैसे ही किरदार खत्म होता है, मैं उससे बाहर आ जाती हूं। मैंने एक बार किरदार छोड़ दिया फिर वो छूट ही जाता है। मैं ज्यादा वक्त तक उस किरदार में रह नहीं पाती। सीजन-4 में अंजू एक किस्म की इमोशनल कोर भी है। उसकी लाइफ के कुछ फैसले, गलत को सही से परे करना, ये सारी बातें शो के दौरान कठिन और सरप्राइजिंग रहा। मुझे इस शो के कास्ट एंड क्रू के साथ काम करके बहुत मजा आया। मैंने इस चीज को बहुत एंजॉय किया। सीन कट होने के बाद हम सबकी जो एनर्जी होती थी, वो यादगार रहेगी। शायद, इस वजह से भी मैं अपने किरदार से आसानी से निकल जाती थी। इस शो में आप सबके लिए सबसे यादगार क्या रहा? पंकज- रोहन सिप्पी जिस तरह से अपने एक्टर्स और यूनिट को हैंडल करते हैं, वो वाकई में कमाल होता है। उनके साथ काम करना अपने आप में एक यादगार पल है। कभी नहीं लगा कि हम कुछ बड़ा या बहुत भारी टास्क कर रहे हैं, जबकि 6-7 एपिसोड काफी भारी हैं। इसके अलावा खुशकिस्मती कहिए, पूरी कास्ट भी कमाल की मिली है। सीन कट होने के बाद सबसे एक अलग बॉन्डिंग थी। सेट पर एक घरेलू माहौल होता था। रोहन की जितनी तारीफ की जाए वो कम है। वो बड़ा से बड़ा सीक्वेंस इतनी आसानी से करा लेते थे। सुरवीन- रोहन सर की एक और बात है, जो उन्हें अलग बनाती है। वो जो भरोसा हम पर रखते थे, ऐसा लगता था कि किरदार का पकड़ हमारे हाथ में है। ऐसा भरोसा अगर एक डायरेक्टर अपने एक्टर्स के हाथ में सौंप दे तो मजा दोगुना हो जाता है। पंकज, आपके डायलॉग मीम कल्चर का हिस्सा हैं। इस शो में भी ऐसे कई डायलॉग हैं। ये स्क्रिप्ट में होता है या आप खुद क्रिएट करते हैं। मैं खुद भी जोड़ता हूं। इस शो का किरदार माधव हिंदी इलाके से आता है। मुंबई के मीरा रोड में रहकर सर्वाइवल की लड़ाई लड़ रहा है। यहां रहते हुए वो मुंबई की भाषा बोलने लगा है। मुंबईकर होने के बाद भी, वो अपने गांव-घर वाले मुहावरे बोलता है। जैसा कि श्वेता ने कहा कि वो किरदार की तैयारी करती हैं। ठीक वैसे मैं भी जो बिहारी मुहावरे में जानता हूं, वो माधव के मुंह से बुलवाता हूं। पंकज, जब आपको पहली बार कहानी नेरेट की गई थी, तब आपको लगा था कि ये इंडिया को लांगेस्ट रनिंग सीरीज बन जाएगी। मुझे बिल्कुल ऐसा नहीं लगा था। कहानियां अच्छी हैं इसलिए लोगों को पसंद आती हैं। मैं अपनी बात करूं तो मुझे चौथे सीजन की कहानी बहुत पसंद आई। मैंने पहला एपिसोड सुनकर बोल दिया था कि बढ़िया कहानी है। लीगल ड्रामा इसलिए भी लोगों को पसंद आ रहा क्योंकि उन्हें नई- नई चीजें पता चलती हैं।

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