पाकिस्तानी सिंगर, जिसकी परिवार के सामने हत्या हुई:सैलून से निकलते ही गले-पेट पर मारी गोलियां, पिता को भी छलनी किया, तालिबान से मिली थीं धमकियां

18 जून 2012 की बात है पाकिस्तान की पश्तो सिंगर और स्टार गजाला जावेद, आधी रिकॉर्डिंग खत्म कर अपने पिता, बहन और कजिन के साथ सैलून पहुंची थीं। गजाला बहन के साथ सैलून के अंदर चली गईं और पिता और 5 साल का कजिन नावेद बाहर ही कार में बैठे इंतजार करने लगे। गजाला कुछ परेशान थीं। आमतौर पर वो हेयर कटिंग के समय अपने मशहूर गाने गुनगुनाती थीं, लेकिन उस रोज वो काफी खामोश थीं। हेयरड्रेसर ने वजह पूछी तो उन्होंने बस इतना कहा, आज बहुत उदासी लग रही है। बात चल ही रही थी कि पास बैठी बहन फरहत का फोन बजा। पिता जावेद का कॉल था। उन्होंने कहा, गजाला का पूर्व पति जहांगीर आसपास घूम रहा है, तुम लोग जल्दी वहां से निकलो। फरहत ने वजह नहीं बताई, लेकिन गजाला से जल्द वापस चलने को कहा। पिता ने अगला कॉल पत्नी निशात को किया और सारी बात बताई। उन्होंने जवाब में कहा, दोनों बच्चियों को लेकर आप तुरंत घर लौट आओ। दरअसल, गजाला ने 2011 में जहांगीर से तलाक ले लिया था। पेशावर जैसे पिछड़ी सोच के शहर में तलाक जैसे मुद्दे बेहद शर्मनाक और धर्म के खिलाफ माने जाते थे। यही वजह रही कि जहांगीर उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं था। सैलून के बाहर अंधेरा छाया हुआ था। गजाला जल्द ही बहन फरहत के साथ कार की तरफ चलने लगीं। कार के पास पहुंचकर उन्हें याद आया कि पर्स सैलून में ही रह गया। उन्होंने बहन से पर्स लाने को कहा और कार की तरफ चलना जारी रखा। फरहत दौड़ी-दौड़ी पर्स लेने गई, तब तक गजाला कार में बैठ चुकी थीं। वो कदम कार की ओर बढ़ा ही रही थी कि अचानक दो नकाबपोश लड़के कार के पास आकर रुके और अंधाधुन गोलियां चलानी शुरू कर दीं। फरहत पर्स लिए वहीं बेसुध ठहर गई। करीब 10 राउंड फायरिंग के बाद वो बदमाश तुरंत भाग निकले। तब तक आसपास भीड़ इकट्ठा हो गई। कार के करीब जाकर देखा तो खून से लथपथ गजाला की सांसें थम चुकी थीं। पिता ड्राइविंग सीट पर दर्द से कराह रहे थे। पिछली सीट पर बैठा 5 साल का डरा-सहमा नावेद चीख-चीखकर रो रहा था। गजाला को कुछ समय से गाना गाने पर तालिबान की ओर से जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं। इस समय कई और सिंगर्स-डांसर्स की तालिबान ने हत्या करवाई थी लेकिन जब गजाला की हत्या का खुलासा हुआ तो हर कोई हैरान था। आज अनसुनी दास्तान में जानिए गजाला जावेद हत्याकांड की सिलसिलेवार कहानी, 4 चैप्टर्स में- 1 जनवरी 1988 में गजाला जावेद का जन्म पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा की स्वात वैली के बेहद गरीब परिवार में हुआ था। गजाला महज 7 साल की थीं, जब उन्होंने घर के आसपास होने वाली शादियों में गाना शुरू किया। देखने में बेहद खूबसूरत गजाला जल्द ही लोगों का ध्यान खींचने लगीं। उन्हें शादियों में गाना गाने और डांस करने की मोटी रकम दी जाने लगीं। आर्थिक तंगी के दौर में गजाला की कमाई से घर खर्च चलने लगा। समय के साथ काम में बढ़ोतरी होने लगी और उनके लिए खास सिंगिंग इवेंट ऑर्गेनाइज करवाए जाने लगे। गजाला गायिकी के साथ स्कूल से तालमेल भी मिला रही थीं। लेकिन उनकी खूबसूरती, पढ़ाई की दुश्मन बनने लगी। स्कूल से लौटते वक्त आए दिन उन्हें सड़क में बदमाश परेशान करने लगे। छेड़छाड़ के मामले इस कदर बढ़ने लगे कि पिता जावेद ने 5वीं में ही उनकी पढ़ाई छुड़वा दी। अब गजाला ने पूरा ध्यान सिंगिंग और डांसिंग में लगा दिया। हुनर की बदौलत उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर होने लगी। बढ़ती उम्र के साथ गायिकी को बढ़ावा मिलने लगा तो गजाला ने डांस करना हमेशा के लिए छोड़ दिया। पाकिस्तान के अलावा गजाला के गाने अफगानिस्तान, दुबई और काबुल में काफी पॉपुलर हुए, जिससे उन्हें विदेश में भी पहचान मिल गई। उन्हें एक परफॉर्मेंस के 15 हजार डॉलर (करीब 12 लाख रुपए) मिलते थे। रेडियो काबुल के डायरेक्टर अब्दुल घानी मुदाकिक के अनुसार, गजाला पश्तो की सबसे ज्यादा फीस लेने वाली सिंगर थीं। गजाला की देश-विदेश में म्यूजिकल एल्बम की बिक्री भी बढ़ने लगी थी। हालांकि ये स्टारडम चंद दिनों में ही छिन गया। 2007 पाकिस्तानी तालिबान कमांडर मौलाना फैजुल्लाह ने स्वात घाटी में कब्जा करना शुरू कर दिया। उन्होंने टीवी, गानों, पब्लिक परफॉर्मेंस और डांस पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी। उन्होंने इसे हराम और इस्लाम विरोधी बताया। उस समय कई रेडियो स्टेशन, DVD शॉप और गर्ल्स स्कूल को बम से उड़ा दिया गया। जिन भी कलाकारों ने गायिकी या डांस जारी रखा उनका सरेआम कत्ल कर दिया गया। साल 2009 में मशहूर पाकिस्तानी डांसर शबाना को आधी रात मिंगोरा के टाउन स्क्वायर स्थित घर से घसीटकर बाहर लाया गया और उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। गजाला जावेद को भी लगातार तालिबान की ओर से जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं। परिवार डरा-सहमा रहने लगा था। जान बचाने के लिए वो साल 2009 के आखिर में स्वात वैली से पेशावर आकर बस गए। यहां तालिबान का डर नहीं था, लेकिन उन्हें अब जिंदगी जीरो से शुरू करनी थी। पेशावर में लंबे संघर्ष के बाद उन्हें एक स्टूडियो में गाने का मौका मिला। चंद हफ्तों में ही उनकी रिकॉर्डिंग शुरू हो गईं और फिर उन्हें बड़े-बड़े प्रोजेक्ट मिलने लगे। एक रोज एक इवेंट में गजाला पर पेशावर के नामी बिजनेसमैन जहांगीर खान की नजर पड़ी। वो गजाला की खूबसूरती से इस कदर प्रभावित हुए कि सीधे रिश्ता लेकर घर पहुंच गए। शुरुआत में परिवार इस रिश्ते के खिलाफ था, क्योंकि गजाला ही परिवार के लिए इकलौता कमाई का जरिया थीं। लेकिन जहांगीर हर शर्त पर शादी के लिए उतावला था। उसके बार-बार घर आने पर गजाला के पिता जावेद ने सोचा कि शायद यही वो मौका है, जिससे गजाला गायिकी से दूर एक इज्जतदार घराने में शादी कर अपनी जिंदगी संवार सकती हैं। उन्होंने जहांगीर को शादी के लिए हामी भर दी, लेकिन दूसरी तरफ गजाला इस रिश्ते के लिए कतई राजी नहीं थीं। परिवार ने दबाव बनाया तो उन्होंने कई दिनों तक खुद को कमरे में बंद कर लिया। वो कई दिनों तक रोती रहीं, लेकिन परिवार ने एक न सुनी। परिवार जुबान दे चुका था। उन्होंने एक रोज निकाहनामा तैयार करवाया और ये कहते हुए गजाला से उसमें साइन करवाया कि ये यूरोपियन कंट्री के वीजा पेपर हैं। गजाला को अंग्रेजी पढ़ते नहीं आती थी, तो उन्होंने बिना सवाल किए वीजा पेपर समझकर निकाह नामा साइन कर दिया। परिवार ने जब उन्हें सच्चाई बताई तो वो टूट गईं, लेकिन अब वो इससे पीछे नहीं हट सकती थीं। गजाला शादी को स्वीकार कर चुकी थीं। लेकिन चंद हफ्तों में ही ये शादी टूटने की कगार पर आ गई। शादी के बाद गजाला को पता चला कि जहांगीर की पहले ही 3 शादियां हो चुकी थीं, जिससे उन्हें 4 बच्चे हैं। वो कई दिनों तक बिना बताए उन्हें छोड़कर दूसरी पत्नियों के साथ रहते थे। सच्चाई जानकर गजाला टूट गईं। वहीं दूसरी तरफ जहांगीर ने उन्हें गायिकी से दूर रहने की हिदायत दे दी थी, जिससे झगड़े और बढ़ने लगे थे। एक रोज तंग आकर गजाला घर पति का घर छोड़कर पेरेंट्स के पास भाग आईं। लेकिन परिवार ने उन्हें समझा-बुझा कर वापस पति के पास भेज दिया। इस बार पति के जुल्म और बढ़ गए। बात मारपीट तक पहुंच गई। उन पर परिवार से संपर्क करने की भी पाबंदी लगा दी गई। वो कई बार मारपीट से तंग आकर घर भाग आती थीं, लेकिन हर जहांगीर खुद को सुधारने का आश्वासन देकर उनके परिवार को मना लेता था और हर बार पेरेंट्स उन्हें वापस भेज देते थे। ये सिलसिला एक साल तक चलता रहा, लेकिन फिर साल 2011 में गजाला ने उनके खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कर, तलाक की अर्जी दे दी। पेशावर में तलाक जैसे मुद्दे बेहद बुरे समझे जाते थे और पितृसत्ता वाले देश में महिलाओं पर उंगलियां उठाई जाती थीं। लेकिन इस बार कोर्ट ने गजाला के पक्ष में फैसला सुनाया था। इस बात से जहांगीर काफी नाराज हुआ। तलाक होने के बावजूद वो लगातार गजाला को मनाने की कोशिश करता रहा, लेकिन जब वो नहीं मानीं, तो वो उन्हें धमकियां देने लगा। वो आए दिन उन्हें कॉल कर जान से मारने की धमकी देता था। गजाला ने कई बार नंबर बदले, लेकिन किसी न किसी तरह वो नंबर निकालकर उनसे संपर्क करने की कोशिश करता था। कई बार जहांगीर ने गजाला के साथी सिंगर्स को भी धमकाया था। तलाक के बाद गजाला ने फिर गानों की रिकॉर्डिंग शुरू कर दी थी, जिससे फैंस बेहद खुश थे। गजाला को भी तलाक लेने पर थोड़ा अफसोस था, यही वजह थी कि वो कभी-कभी जहांगीर से संपर्क में आ जाती थी। न्यूजवीक को दिए इंटरव्यू में गजाला की मां निशात ने बताया था कि गजाला को जहांगीर पर भरोसा था कि वो कभी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएगा। एक रोज उन्होंने मां से कहा था, जिस दिन जहांगीर ने मुझे चोट पहुंचाई, मैं अपना सिर मुंडवा लूंगी। वो मुझसे प्यार करता है, मुझे कभी नुकसान नहीं पहुंचाएगा। ऐसी कोई गोली नहीं जो मुझे मार सके। इसके कुछ दिनों बाद ही गजाला और उनके पिता की हत्या करवा दी गई। शुरुआत में तालिबानी संगठनों पर संदेह जताया जा रहा था, हालांकि जब जांच शुरू हुई तो घटना के वक्त उनके साथ मौजूद बहन फरहत ने पूर्व पति जहांगीर पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जिन बदमाशों ने गोलियां चलाई थीं, उनके साथ जहांगीर भी वहीं खड़ा था। वो लगातार बदमाशों से कह रहा था कि जल्दी गोलियां चलाओ, किस बात का इंतजार कर रहे हो। फरहत के बयान के बाद जहांगीर की गिरफ्तारी हुई। जहांगीर ने बिना समय गंवाए जुर्म कबूल कर लिया। उसके इकबाल-ए-जुर्म के अनुसार, शादी के बाद गजाला के गाने के उसके परिवार की बदनामी हुई थी। इसके बाद तलाक की खबर फैलने से भी बदनामी काफी बढ़ गई। वो चाहता था कि किसी तरह गजाला लौट आए, लेकिन वो इसके लिए राजी नहीं थी। ऐसे में सबक सिखाने के लिए उसने हत्या की साजिश रच दी। आरोप साबित होने के बाद स्वात सेशन कोर्ट ने जहांगीर को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। साथ ही उस पर गजाला की हत्या के लिए 5 लाख रुपए फाइन और उनके पिता जावेद की हत्या के लिए 2 लाख रुपए फाइन लगाया गया। हालांकि 22 मई 2014 में गजाला के परिवार ने जहांगीर को माफी देकर आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट कर लिया, जिससे उसे बरी कर दिया गया। पाकिस्तान के कानून के अनुसार, अगर कोई पीड़ित परिवार दोषी को माफी दे देता है तो उसे बरी कर दिया जाता है।

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