पंकज कपूर@71, पेट पालने के लिए किया टीवी शो:’करमचंद’ ने बदली किस्मत; नसीरुद्दीन के मना करने पर मिला ‘अब्बा जी’ का रोल, जीता नेशनल अवॉर्ड
|कुछ लोग बोलते कम हैं, लेकिन उनका काम बहुत कुछ कह जाता है। कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जो गाजे-बाजे के बिना, सिर्फ अपने अभिनय से जादू कर देते हैं। उनकी एक्टिंग ऐसी होती है कि फिल्म खत्म हो जाती है, लेकिन उनका किरदार जेहन में बना रहता है। पंकज कपूर उन्हीं में से एक हैं। जी हां, वही पंकज कपूर जिन्हें जेन Z शाहिद कपूर के पिता के रूप में जानती है, तो वहीं पिछली पीढ़ी के बीच वो ‘डॉ. दीपांकर रॉय’, ‘करमचंद’ और ‘मुसद्दीलाल’ जैसे यादगार किरदारों के लिए जाने जाते हैं। आज पंकज कपूर के बर्थडे के खास मौके पर आइए उनकी जिंदगी को करीब से छूते हैं- पंकज कपूर का जन्म 29 मई 1954 को पंजाब के लुधियाना में हुआ। उनके पिता कॉलेज के प्रिंसिपल और इंग्लिश प्रोफेसर थे। घर का माहौल पढ़ाई-लिखाई और साहित्यिक था। इसी माहौल में पंकज कपूर के भीतर कला और संस्कृति के बीज पड़े। जब 18 की उम्र में पंकज कपूर ने घर में बताया कि वह अभिनेता बनना चाहते हैं, तो उनकी मां रोने लगीं, वहीं उनके पिता आनंद प्रकाश कपूर ने इस पर गर्व जताया। पिता ने पंकज को अभिनय में एनएसडी से औपचारिक प्रशिक्षण लेने की सलाह दी। FTII ने किया रिजेक्ट, NSD में हुआ सिलेक्शन पंकज कपूर ने पिता की सलाह पर एक्टिंग में करियर बनाने के लिए भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में आवेदन दिया। स्क्रीन टेस्ट के दौरान FTII ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया, लेकिन एनएसडी में उनका सिलेक्शन हो गया। प्ले के बदौलत मिली ‘गांधी’ फिल्म पढ़ाई के साथ-साथ वो थिएटर करने लगे। पढ़ाई पूरी होने के बाद वो एनएसडी की रेपर्टरी कंपनी में नौकरी करने लगे। पंकज कपूर को फिल्मी दुनिया में बड़ा ब्रेक हॉलीवुड निर्देशक रिचर्ड एटनबरो के जरिए मिला। दरअसल, पंकज कपूर ‘मुख्यमंत्री’ नाम के नाटक में अभिनय कर रहे थे। इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री के सचिव का किरदार निभाया था। ‘गांधी’ फिल्म के डायरेक्टर रिचर्ड एटनबरो को प्ले में पंकज का अभिनय इतना पसंद आया कि उन्हें गांधी जी के दूसरे सचिव प्यारे लाल नायर का रोल ऑफर कर दिया। पंकज का मानना था कि उनकी शक्ल प्यारे लाल नायर से मिलती-जुलती थी। शायद इसी वजह से उन्हें बुलाया गया था। गांधी फिल्म की तो नौकरी से निकाल दिए गए पंकज कपूर उस समय फिल्म गांधी में लीड एक्टर के लिए डबिंग आर्टिस्ट की तलाश भी जारी थी। किसी ने पंकज को बताया कि शायद नटराज स्टूडियो में इसके ऑडिशन हो रहे हैं। पंकज काम ढूंढ ही रहे थे, तो वे भी वहां चले गए। उन्होंने अपनी शेक्सपियर के दो अंग्रेजी डायलॉग्स बोलकर आवाज रिकॉर्ड करवाई। वह एटनबरो को दिखाना चाहते थे कि वे पढ़े-लिखे हैं और थिएटर जानते हैं। इसके बाद उन्हें शॉर्ट लिस्ट कर लिया गया। फिर उन्हें बीआर स्टूडियो बुलाया गया। वहां उनसे गांधी जी के उपवास वाले एक कठिन सीन की डबिंग करवाई गई। इसमें गांधी जी बहुत धीमी आवाज में बोलते हैं। पंकज ने वह सीन अंग्रेजी में डब किया। एटनबरो ने सुना और तुरंत उन्हें चुन लिया। इसके बाद पंकज ने फिल्म गांधी के लिए डबिंग शुरू की। वह रोज 11 घंटे डबिंग करते थे। हालांकि पंकज कपूर को फिल्म “गांधी” में काम करने के कारण एनएसडी से नौकरी खोनी पड़ी। जिसके बाद पंकज कपूर ने मुंबई की ओर रुख किया। फिल्म गांधी के बाद पंकज कपूर ने पैरलल सिनेमा के फिल्ममेकर श्याम बेनेगल की ‘मंडी और ‘आरोहण’, कुंदन शाह की ‘जाने भी दो यारो’, सईद अख्तर मिर्जा की ‘मोहन जोशी हाजिर हो’!, मृणाल सेन की ‘खंडहर’ और विधु विनोद चोपड़ा की ‘खामोशी’ जैसी बेहतरीन फिल्मों में काम किया। 28 साल की अमृता सिंह के पिता बने थे 32 साल के पंकज कपूर ‘चमेली की शादी’ फिल्म में उन्होंने आम आदमी की मासूमियत और सच्चाई दिखाई। खास बात ये थी कि जब वो 32 साल के थे तो उन्होंने ‘चमेली की शादी’ में अपने से चार साल छोटी अमृता सिंह के पिता का किरदार निभाया था। हालांकि पंकज कपूर बहुत अच्छी फिल्में कर रहे थे, लेकिन कहीं न कहीं वह इन फिल्मों से अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे थे। आर्थिक तंगी के चलते टीवी इंडस्ट्री में रखा कदम 1985 में उन्होंने टीवी की ओर रुख किया। हालांकि शुरुआत में वह टीवी में काम नहीं करना चाहते थे। जब उन्हें सीरियल ‘करमचंद’ ऑफर किया गया तो उन्होंने मना कर दिया, लेकिन पंकज कपूर ने बाद में फिर इसमें काम किया। पंकज कपूर ने एक इंटरव्यू में टेलीविजन को चुनने का कारण बताते हुए कहा था, “मसला सर्वाइवल का तो था, क्योंकि जिन फिल्मों में हम काम कर रहे थे उनमें तो खास पैसा नहीं था, बस काम करने का मौका मिल रहा था। ऐसे ही वक्त में टेलीविजन की शुरुआत हुई। मुझे ‘करमचंद’ नाम का सीरियल ऑफर हुआ, लेकिन शुरुआत में मैंने मना कर दिया। मुझे लगा था मैं टीवी नहीं करना चाहता।” हालांकि पंकज कपूर की आर्थिक स्थिति ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा, “जब मैंने देखा कि मेरे पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं और गुजारा करना मुश्किल होता जा रहा है, तो मैंने सोचा कि चलो स्क्रिप्ट देखते हैं।” पंकज कपूर ने बताया था कि ‘करमचंद’ करना उनके लिए एक ‘ब्लेसिंग इन डिसगाइज’ साबित हुआ। उस दौर की फिल्मों में उन्हें जो रोल मिलते थे, वो काफी सीमित होते थे। उन्हें हीरो के दोस्त या हीरोइन के भाई या फिर छोटे-मोटे विलेन के रोल मिलते थे। टेलीविजन एक बड़ा माध्यम बनकर उभरा, जिसने उन्हें कई यादगार रोल निभाने का मौका दिया। बता दें कि ‘करमचंद’ सीरियल से उन्हें काफी पहचान मिली। जब कई लोग गाजर लेकर पंकज कपूर के पास पहुंच गए थे एक्टर शाहिद कपूर ने मिड-डे को दिए एक इंटरव्यू में अपने पिता पंकज कपूर की टीवी पॉपुलैरिटी को लेकर बताया था कि जब वह दिल्ली में अपनी मां नीलिमा अजीम के साथ रहते थे, तो एक बार पंकज कपूर उन्हें ‘निरूला’ रेस्टोरेंट ले गए। तभी अचानक लोग उन्हें पहचान गए। भीड़ लग गई और करीब 30 लोग एक-एक कर गाजर लाने लगे। सब कहने लगे, “ये हमारे हाथ से गाजर खा लीजिए।” दरअसल, ‘करमचंद’ शो में पंकज कपूर गाजर खाते दिखते थे, इसलिए लोग असल जिंदगी में भी उन्हें गाजर खिलाना चाहते थे। शाहिद ने बताया था कि भीड़ देखकर पंकज कपूर ने घबरा कर कहा, ‘यह क्या कर रहे हैं आप। मैं अपने बेटे के साथ पिज्जा खा रहा हूं ,उन्होंने शाहिद का हाथ पकड़ा और बोले, ‘बेटा, चलो भागते हैं।’ फिर दोनों वहां से निकल गए। ‘राख’ और ‘एक डॉक्टर की मौत’ के लिए पंकज कपूर को नेशनल अवॉर्ड ‘करमचंद’ के बाद पंकज कपूर ‘जबान संभाल के’, ‘नीम का पेड़’ और ‘फिलिप्स टॉप 10’ जैसे शोज में नजर आए। टेलीविजन के साथ वो फिल्में भी कर रहे थे। उन्हें पहला राष्ट्रीय पुरस्कार फिल्म ‘राख’ (1989) के लिए मिला। इसके बाद ‘एक डॉक्टर की मौत’ (1991) में उनकी अदाकारी को स्पेशल जूरी अवॉर्ड मिला। 2001 में वो टीवी पर ‘ऑफिस- ऑफिस’ लेकर लौटे। ये शो सरकारी तंत्र पर करारा व्यंग्य था। इस शो के लिए पंकज कपूर को कई अवॉर्ड मिले। इसके बाद उन्होंने विशाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित ‘मकबूल’ (2003) में अभिनय किया, यह फिल्म शेक्सपियर के नाटक ‘मैकबेथ’ का रूपांतरण थी। नसीरुद्दीन शाह ने ठुकराया तो पंकज कपूर मकबूल में बने ‘अब्बा जी’ फिल्म ‘मकबूल’ में पंकज कपूर द्वारा निभाया गया ‘जहांगीर खान अब्बा जी’ का किरदार आज भी भारतीय सिनेमा में यादगार माना जाता है। ‘अब्बा जी’ का रोल पहले शशि कपूर करने वाले थे, लेकिन वो उस रोल के लिए फिट नहीं थे, फिर यह रोल नसीरुद्दीन शाह को ऑफर हुआ था। फिल्म के निर्देशक विशाल भारद्वाज ने एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया था। विशाल ने बताया था, “जब मकबूल की स्क्रिप्ट तैयार हुई थी, तो मैंने नसीरुद्दीन शाह से कहा कि आप इसमें जो भी किरदार पसंद हो, चुन लीजिए। उन्होंने ‘अब्बा जी’ का किरदार चुना और तैयारी भी शुरू कर दी। उन्होंने बाल बढ़ाने शुरू किए, मेहंदी लगाई, दाढ़ी बढ़ाई ताकि किरदार में रच-बस सकें।” शूटिंग के तीन महीने पहले विशाल को नसीरुद्दीन शाह ने बुलाया और कहा, “मुझे लग रहा है कि मैं ये रोल नहीं कर पाऊंगा। ऐसा नहीं कि मैं फिल्म से भाग रहा हूं, बल्कि मुझे इस किरदार में अपने लिए एक्टर के तौर पर कुछ नया नहीं दिख रहा है।” नसीरुद्दीन शाह ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए एक सुझाव दिया। उन्होंने कहा, “फिल्म में जो इंस्पेक्टर पंडित और इंस्पेक्टर पुरोहित के किरदार हैं, वो मुझे कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण लगते हैं। अगर नए एक्टर्स को ये रोल मिलेगा तो उनका महत्व कम हो जाएगा। मैंने ओम पुरी से बात कर ली है, हम दोनों मिलकर ये रोल निभाएंगे।” वहीं, एक्टर पीयूष मिश्रा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शशि कपूर भी यह रोल करने वाले थे, लेकिन वह फिट नहीं थे। अंत में पंकज कपूर ने ‘अब्बा जी’ का रोल निभाया और उन्होंने इस किरदार को अपने बेमिसाल अभिनय से अमर बना दिया। मकबूल में “अब्बा जी” के रोल के लिए पंकज कपूर को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इसके बाद पंकज कपूर ‘द ब्लू अम्ब्रेला’, ‘दस’, ‘हल्ला बोल’ और ‘मटरू की बिजली का मंडोला’ जैसी फिल्मों में दिखे। 2019 में उनकी किताब ‘दोपहरी’ छपी। पिछले कुछ वर्षों में वह ‘जर्सी’, ‘लॉस्ट’, ‘भीड़’ और बिन्नी एंड फैमिली जैसी फिल्मों में नजर आए हैं। वहीं, 2024 में उन्होंने नेटफ्लिक्स की सीरीज आईसी 814: द कंधार हाईजैक में भी काम किया। पंकज कपूर की पर्सनल लाइफ पंकज कपूर ने दो बार शादी की है और उनके तीन बच्चे हैं। उनकी पहली शादी एक्ट्रेस और डांसर नीलिमा अजीम से हुई थी। पंकज कपूर की पहली मुलाकात नीलिमा अजीम से एनएसडी में हुई थी। नीलिमा उस वक्त कथक सीख रही थीं और पंकज एक्टिंग की ट्रेनिंग ले रहे थे। दोनों की दोस्ती जल्द ही मोहब्बत में बदल गई और साल 1979 में उन्होंने शादी कर ली। 1981 में उनके बेटे शाहिद कपूर का जन्म हुआ। हालांकि शादी के कुछ सालों बाद दोनों के रिश्तों में दरार आने लगी और 1984 में उनका तलाक हो गया। नीलिमा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अलग होने का निर्णय पंकज कपूर का था वो अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गए थे। सुप्रिया पाठक से पंकज कपूर की दूसरी शादी की कहानी पंकज ने 1988 में अभिनेत्री सुप्रिया पाठक से दूसरी शादी की। पहली शादी टूटने के बाद पंकज कपूर ने खुद को काम में व्यस्त रखा, लेकिन उनका दिल फिर से धड़कने लगा, जब 1986 में फिल्म ‘अगला मौसम’ की शूटिंग के दौरान उनकी मुलाकात सुप्रिया पाठक से हुई। दिलचस्प बात ये है कि वैसे तो ‘अगला मौसम’ फिल्म कभी रिलीज नहीं हुई, लेकिन इस फिल्म के दौरान दोनों करीब आ गए। सुप्रिया भी उस समय अपनी टूटी हुई पहली शादी से उबरने की कोशिश कर रही थीं। शूटिंग के दौरान दोनों एक-दूसरे के करीब आए। साथ में जॉगिंग करना, घंटों बातें करना और छोटे-छोटे पलों को साझा करना, यही सब धीरे-धीरे उनके रिश्ते की नींव बना। सुप्रिया पाठक की मां दीना इस रिश्ते के खिलाफ थीं पंकज एक बार पहले विवाह का अनुभव ले चुके थे, इसलिए दूसरी बार जल्दबाजी में निर्णय लेने से हिचकिचा रहे थे, लेकिन जब उन्होंने महसूस किया कि वो सुप्रिया के बिना नहीं रह सकते हैं। फिर उन्होंने अपने दिल की बात सुनी। दो साल तक डेट करने के बाद उन्होंने 1988 में सुप्रिया से शादी कर ली। हालांकि सुप्रिया की मां दीना पाठक इस रिश्ते के खिलाफ थीं। सुप्रिया की मां दीना को पंकज पसंद नहीं थे इसलिए वो एक्ट्रेस पर शादी से इनकार करने का दबाव बनाने लगीं। मां के ना मानने पर सुप्रिया ने घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर 7 साल बड़े पंकज से शादी की। शादी के बाद दीना और पंकज के रिश्ते भी सुधरने लगे। इस शादी से उनके दो बच्चे सनाह कपूर और रुहान कपूर हैं। पंकज कपूर और सुप्रिया पाठक के बच्चों का विवाह एक्ट्रेस सीमा पाहवा और एक्टर मनोज पाहवा के बच्चों से हुआ है। सनाह ने फिल्म ‘शानदार’ से अपने करियर की शुरुआत की थी। मनोज और सीमा पाहवा के बेटे मयंक पाहवा से सनाह ने शादी की है। वहीं, बेटे रूहान की मनोज और सीमा की बेटी मनुकृति पाहवा से शादी हुई है। बेटे शाहिद से है पंकज कपूर का गहरा भावनात्मक रिश्ता शाहिद के साथ भी पंकज का अच्छा बॉन्ड दिखता है। पंकज कपूर ने ‘द कपिल शर्मा शो’ में शाहिद को लेकर बताया था कि एक बार जब वे दिल्ली में थे, तो शाहिद ने उनकी उंगली पकड़कर चलते हुए कहा था, “बाबा, आपको पता है मैं आपसे कितना प्यार करता हूं?” जब पंकज ने पूछा, “कितना?” तो शाहिद ने जवाब दिया था, “जितना खुदा अपने बंदों से करता है।” शाहिद की पहली फिल्म देखने के बाद पंकज कपूर ने कहा था, बहुत बढ़िया, कड़ी मेहनत करते रहो। जब शाहिद 17 साल के थे, तब पंकज कपूर ने कहा था, ‘उनका (शाहिद) भविष्य बहुत उज्जवल है। ज्यादातर डायरेक्टर्स ने उन्हें उनके अच्छे लुक की वजह से कास्ट किया है, लेकिन उनकी ताकत ड्रामा, एक्टिंग की काबिलियत और उस माहौल को समझने की क्षमता में है, जिसमें वे काम कर रहे हैं। पिंकविला के साथ अपनी बातचीत में शाहिद कपूर ने कहा था कि उनके पिता पंकज कपूर ने उन्हें सिखाया कि उनके अंदर का अभिनेता बड़ा होने पर उन्हें स्टार बना देगा। एक्टिंग में बजा डंका, लेकिन डायरेक्शन में फ्लॉप हुए पंकज कपूर पंकज कपूर ने वैसे तो अभिनेता के तौर पर अपना लोहा मनवाया है, लेकिन जब उन्होंने 2011 में फिल्म मौसम से निर्देशन की शुरुआत की, तो उन्हें वैसी सफलता नहीं मिली। मौसम फिल्म में शाहिद कपूर और सोनम कपूर लीड रोल में थे। हालांकि कहानी मजबूत थी, पर निर्देशन में कमी रही। फिल्म का बजट करीब ₹38 करोड़ था, लेकिन ये दुनिया भर में सिर्फ ₹74 करोड़ ही कमा सकी। फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप घोषित कर दिया गया। इसके बाद पंकज कपूर ने कोई फिल्म डायरेक्ट नहीं की। इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में पंकज कपूर ने बताया था कि उन्होंने दोबारा निर्देशन क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा, “मौसम एकमात्र फिल्म है जिसे मैंने लिखा और निर्देशित किया। यह बात सही है कि मेरे पास और भी कहानियां हैं, लेकिन मैं उन्हें लेकर दरवाजे-दरवाजे नहीं जा सकता। मुझमें वह स्वभाव नहीं है। मेरा स्वभाव एक अभिनेता का है।” पंकज कपूर ने यह भी कहा था, “मेरा मतलब है, अगर कोई मेरे पास आता है और कहता है कि क्या आपके पास कोई स्क्रिप्ट है? क्या मैं कुछ सुन सकता हूं? तो मैं उसे सुनाने के लिए तैयार हूं और अगर वह कहे कि हां, मुझे यह पसंद है, तो मैं फिल्म निर्देशित करने के लिए भी तैयार हूं। ऐसा नहीं है कि मुझे निर्देशन पसंद नहीं है। मुझे निर्देशन बहुत पसंद है, लेकिन मैं एक फिल्म बनाने के लिए संघर्ष नहीं कर सकता। इसलिए ‘मौसम’ के बाद मैंने तय किया कि मैं अभिनेता रहूंगा और जब सही मौका मिलेगा, तब मैं निर्देशन करूंगा।” ———————————————- बॉलीवुड की यह खबर भी पढ़ें.. करण जौहर @53, अंडरवर्ल्ड की धमकियां मिलीं तो छोड़ा देश:कहा था- खुद को देखकर घिन आती है; शाहरुख, सिद्धार्थ से अफेयर की चर्चा रही इश्क, मोहब्बत और रिश्तों की कहानियां अगर किसी ने बड़े पर्दे पर सबसे खूबसूरत अंदाज में उतारी हैं, तो वो हैं करण जौहर। आज करण न केवल बॉलीवुड के सबसे मशहूर और सफल फिल्ममेकर हैं, बल्कि एक ट्रेंड सेटर भी हैं। पूरी खबर पढ़ें..