नसीरुद्दीन शाह @75, पहली फिल्म में ₹7.50 मिले,:दिलीप कुमार ने एक्टर बनने से मना किया, आर्ट और कमर्शियल सिनेमा को नई ऊंचाइयां दी

साधारण सी शक्ल-सूरत के बाद भी नसीरुद्दीन शाह ने अपनी मेहनत और लगन से फिल्म इंडस्ट्री जो मुकाम हासिल किया है, वहां तक पहुंचना लोगों के लिए सिर्फ एक सपना है। हालांकि नसीर के लिए यह मुकाम हासिल करना इतना भी आसान नहीं था। एक्टर ने अपने करियर की शुरुआत 1967 में राजेन्द्र कुमार की फिल्म ‘अमन’ से एक्स्ट्रा कलाकार के रूप में की। इस फिल्म के लिए उन्हें सिर्फ 7.50 रुपए मिले थे। एक बार जब दिलीप कुमार से मिले तो उन्होंने वापस घर जाने की सलाह दी, दिलीप कुमार की यह बात सुनकर नसीरुद्दीन शाह काफी हैरान थे, लेकिन उन्होंने अपने दिल की सुनी और फिल्म इंडस्ट्री में टीके रहे। नसीर ने आर्ट और कमर्शियल सिनेमा को ना सिर्फ नई ऊंचाइयां दी। बल्कि कड़ी मेहनत और परिश्रम से बॉलीवुड में अपना परचम बुलंद किया। नसीरुद्दीन शाह अपने अभिनय से लोगों को इंस्पायर कर रहे हैं। आज एक्टर के जन्मदिन पर जानते हैं, उनकी जिंदगी और करियर से जुड़े कुछ और रोचक किस्से.. नसीरुद्दीन शाह से जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट्स पिता नहीं चाहते थे कि एक्टर बनें नसीरुद्दीन शाह का फिल्मी सफर इतना भी आसान नहीं था। इसमें सबसे बड़ी दीवार उनके पिता थे। वो नहीं चाहते थे कि नसीरुद्दीन फिल्मों में जाएं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद नसीर ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया। इसकी वजह से उनके पिता ने उनसे रिश्ता तोड़ लिया था। नसीरुद्दीन के दो और बड़े भाई हैं, जिनमें से एक आर्मी ऑफिसर बन चुके थे और दूसरे भाई इंजीनियर। पिता चाहते थे कि नसीरुद्दीन भी अपने भाइयों की तरह कुछ बनें, लेकिन उनका दिल तो कहीं और बसा था। बंटवारे के बाद दादा और चाचा पाकिस्तान चले गए नसीरुद्दीन शाह के पिता अली मोहम्मद शाह तहसीलदार थे। जब भारत-पाकिस्तान के बीच बंटवारा हुआ तब उनने दादा और चाचा पाकिस्तान चले गए। इकलौते नसीरुद्दीन शाह के पिता थे, जिन्होंने भारत में रहने का फैसला किया। वे अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाना चाहते थे, लेकिन नसीरुद्दीन शाह को बस इसी काम में मन नहीं लगता था। बताया जाता है कि नसीर को बस तीन ही चीजों से लगाव हुआ करता था और वो थे- क्रिकेट, थिएटर और फिल्में। पिता ने मदद करने से कर दिया था मना लल्लन टॉप संग बातचीत में नसीरुद्दीन शाह ने बताया था- नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के बाद पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट (FTII) जाने की सोची। पिता जी ने कहा कि अब कितनी एक्टिंग सीखनी है। मैंने जिद की तो बोले कि मैं आपकी दो साल तक मदद नहीं कर सकता, लेकिन मेरा सिलेक्शन हो गया और मेरे भाइयों ने दो साल तक मेरी बहुत मदद की। जब मैंने संस्थान में प्रवेश लिया, तो मुझे एडमिशन फीस के रूप में 600 रुपए की जरूरत थी। मैंने अपने पिता को पत्र लिखा कि मुझे तत्काल 600 रुपए चाहिए। मुझे लगा कि वो मना कर देंगे, लेकिन अगले ही दिन उन्होंने टीएमओ के जरिए 600 रुपए बिना कोई सवाल किए ट्रांसफर कर दिए। पिता-पुत्र एक दूसरे को नहीं समझ पाए नसीरुद्दीन शाह ने आगे बताया था- मैंने अपने पिता को कभी नहीं समझा और न ही उन्होंने कभी मुझे समझा। वो पुरानी परंपराओं में विश्वास करते थे। हमारे बीच हमेशा एक गैप था, जो कभी भरा नहीं, मुझे इसका बहुत अफसोस है। हम (मेरे पिता और मैं) कभी एक दूसरे से आंख मिलाकर नहीं देख सकते थे। जब मैं बहुत छोटा था तब वह मुझसे बहुत प्यार करते थे, ऐसा मुझे बताया गया है। फिर उन्होंने मेरे लिए प्यार खो दिया, क्योंकि मैं स्कूल में अच्छा नहीं था। उन्होंने खुद हाई स्कूल तक पढ़ाई की थी, इसलिए वो अपने बच्चों को अच्छी तरह से पढ़ाना चाहते थे। वो बेताब थे कि उनके बच्चे पढ़ाई में अच्छे हों। उन्होंने हमें सबसे अच्छी शिक्षा देने की कोशिश की, जितना वो कर सकते थे। जब मेरी शादी हुई, तो वे बहुत सदमे में थे, लेकिन जब मेरी बेटी हुई तो वो अपनी पोती से मिलने गए और बहुत खुश हुए। कुछ हद तक मेरी बेटी के जन्म ने हमारे बीच चीजों को ठीक करने में मदद की, लेकिन ये ज्यादा समय तक नहीं चला। पिता के अंतिम संस्कार में नहीं शामिल हो पाए नसीर अपने पिता के अंतिम संस्कार में नहीं शामिल हो पाए थे, लेकिन जब वो उनकी कब्र पर गए, तो वो खुद को रोक नहीं पाए। नसीर ने कहा था- मैं उनकी कब्र पर गया और अपने दिल की बात कह दी। मैंने उन्हें वो सब कुछ बताया जो उनके जीते जी नहीं कह सका। घंटों तक वहां बैठकर बातें करता रहा, मुझे लगा जैसे वो सुन रहे थे। हीरो जैसी शक्ल नहीं थी, गर्लफ्रेंड ने किया ब्रेकअप नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट (FTII) से एक्टिंग की बारीकियां सीखने के बाद भी नसीर के लिए एक्टिंग की राह आसान नहीं थी। बिना पैसे और टिकट के यात्राएं की, कभी-कभी उन्हें भूखे भी रहना पड़ता था। हीरो जैसी शक्ल-सूरत ना होने की वजह से उनकी पहली गर्लफ्रेंड ने ब्रेकअप कर लिया। पहली फिल्म में काम करने के मिले थे 7.50 रुपए नसीर की स्थिति ऐसी थी कि फिल्म में कोई भी रोल करने के लिए तैयार थे। 1967 में उन्हें पहली फिल्म ‘अमन’ मिली। इस फिल्म में राजेन्द्र कुमार की लीड भूमिका थी और नसीर एक्स्ट्रा कलाकार (यानी की भीड़ का हिस्सा) में नजर आए थे। इस फिल्म के लिए नसीर को 7.50 रुपए मिले थे। इस बात का जिक्र नसीर ने रेडिफ के साथ एक इंटरव्यू में किया था। एक्टर ने कहा था- उस समय मैं 16 साल का था। उस फिल्म को मोहन कुमार ने डायरेक्ट की थी। एक एक्स्ट्रा के रोल में आखिरी सीन में जहां राजेंद्र कुमार को उनके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, मैं उनके ठीक पीछे खड़ा था। इस किरदार में बेहद सीरियस था। इसके लिए मुझे 7.50 रुपए मिले और यह मैने दो हफ्ते तक चलाए थे। दिलीप कुमार ने वापस घर जाने की सलाह दी थी मुंबई आने के बाद नसीरुद्दीन शाह अपने पेरेंट्स के टच में नहीं थे। ऐसे में उनके घर वाले दिलीप कुमार से उनका हाल चाल लिया करते थे। नसीर के परिवार का दिलीप कुमार से पुराना नाता है। नसीरुद्दीन शाह की बुआ शकीना आपा की दिलीप कुमार से अच्छी जान पहचान थी। नसीरुद्दीन भी दिलीप कुमार के घर अक्सर घूमने जाया करते थे। बोले थे अच्छे घर के बच्चे एक्टर नहीं बनते टाइम्स के साथ बातचीत के दौरान नसीरुद्दीन ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा था- जब मैंने दिलीप साहब से एक्टिंग में करियर बनाने की इच्छा जाहिर की, तो उन्होंने मना कर दिया था। दिलीप साहब ने कहा कि मुझे लगता है आपको वापस घर जाकर पढ़ाई करनी चाहिए। अच्छे घर के लोग एक्टर बनने की कोशिश नहीं करते। यह बात सुनकर काफी नर्वस हो गया। मन में सवाल आया कि पूछूं कि आप क्यों एक्टिंग में आए, लेकिन हिम्मत नहीं हुई। बाद मैंने दिलीप साहब के साथ फिल्म ‘कर्मा’ में काम किया, लेकिन उस समय मैंने उनको वह बात नहीं याद दिलाई। क्योंकि दिलीप साहब के घर तो हजारों लोग आते होंगे। उन्हें तो वह बात याद भी नहीं रही होगी। श्याम बेनेगल की फिल्म के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखे लीड एक्टर के तौर पर नसीरुद्दीन शाह ने डायरेक्टर श्याम बेनेगल की फिल्म ‘निशांत’ (1975)से करियर की शुरुआत की। इस फिल्म में नसीर के साथ स्मिता पाटिल और शबाना आजमी जैसी बड़ी अभिनेत्रियों ने काम किया। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस कमाई के मामले में पिछड़ गई, लेकिन दर्शकों ने नसीरुद्दीन शाह के अभिनय को काफी सराहा। इस फिल्म के बाद उन्होंने ‘आक्रोश’, ‘स्पर्श’, ‘अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’, ‘मंडी’, ‘मोहन जोशी हाजिर हो’, ‘अर्द्ध सत्य’ और ‘मिर्च मसाला’ जैसी आर्ट फिल्मों में काम किया। आर्ट फिल्मों के बाद 1980 में उन्होंने मुख्यधारा की फिल्म ‘हम पांच’ में काम किया, लेकिन फिल्म ‘कर्मा’ से बॉलीवुड में छा गए। इसके अलावा ‘मोहरा’, ‘नाजायज’, ‘चाहत’, ‘चाइना गेट’, ‘सरफरोश’, ‘इकबाल’,’अ वेडनेसडे’ और ‘डर्टी पिक्चर’ जैसी फिल्मों से अपनी एक अलग पहचान बनाई। फिल्मफेयर अवॉर्ड्स को दरवाजे के हैंडल के तौर पर इस्तेमाल करते हैं अभिनय का लोहा मनवा चुके दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह अपने विवादित बयानों को भी लेकर खूब चर्चा में रहते हैं। अक्सर देखा गया है कि एक्टर अपनी हर बात बेबाकी के साथ रखते हैं। चाहे देश में रहने को लेकर कोई बात हो या लोकतंत्र की बात हो, एक्टर हमेशा बयान देते नजर आते हैं जो सोशल मीडिया पर तहलका मचा देते हैं। नसीर ने कहा था कि वह फिल्मफेयर अवॉर्ड्स को दरवाजे के हैंडल के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। नसीर की माने तो कोई भी एक्टर जिसने किसी रोल को निभाने में अपनी पूरी जिंदगी निकाल दी और खूब मेहनत की, वह एक अच्छा एक्टर है। अगर आप सभी में से किसी एक एक्टर को चुनते हैं और कहते हैं कि यह साल का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता है, तो यह कैसे उचित है? मुझे उन पुरस्कारों पर गर्व नहीं है। मैं अपने पिछले दो अवॉर्ड लेने भी नहीं गया। जब मैंने एक फार्महाउस बनाया तो मैंने इन पुरस्कारों को वहां रखने का फैसला किया। जो भी वॉशरूम जाएगा उसे दो-दो पुरस्कार मिलेंगे क्योंकि हैंडल फिल्मफेयर पुरस्कारों से बने हैं। दिलजीत दोसांझ का किया सपोर्ट दिलजीत की फिल्म ‘सरदार जी 3’ में पाकिस्तानी अभिनेत्री हानिया आमिर के साथ काम करने को लेकर जब विवाद हुआ तब नसीरुद्दीन शाह ने दिलजीत की तरफदारी की थी । उन्होंने एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था- मैं दिलजीत के साथ हूं। वो गंदी राजनीति के शिकार हुए हैं। कुछ लोग उन पर हमला करने का मौका ढूंढ रहे हैं। कास्टिंग का फैसला निर्देशक का था, दिलजीत का नहीं। वह एक मशहूर हस्ती हैं और उन्होंने बिना किसी पूर्वाग्रह के फिल्म में काम किया। कुछ लोग भारत और पाकिस्तान के बीच निजी रिश्तों को खत्म करना चाहते हैं। पाकिस्तान में दोस्तों के लिए प्यार नसीरुद्दीन शाह ने इसी पोस्ट में आगे लिखा था- पाकिस्तान में मेरे करीबी रिश्तेदार और दोस्त हैं। कोई मुझे उनसे प्यार करने या मिलने से नहीं रोक सकता और एक जवाब उनके लिए भी जो अब कहेंगे कि ‘पाकिस्तान जाओ’, मैं उन्हें कहना चाहूंगा ‘कैलासा जाओ’। ____________________________________________________________ बॉलीवुड की यह खबर भी पढ़ें.. प्रियंका @43- हीरोइन बनीं तो ताने मिले:तीन बार सुसाइड की कोशिश, शाहरुख, अक्षय और शाहिद को डेट किया; देसी गर्ल से बनीं ग्लोबल स्टार एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा ने अपने दम पर बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक अपनी एक्टिंग के बदौलत गहरी छाप छोड़ी है। ग्लोबल स्टार के तौर पर जानी जाने वाली प्रियंका आज बेहतरीन लाइफस्टाइल जी रही हैं, लेकिन इसके पीछे बहुत मेहनत, दर्द और हिम्मत की सच्ची कहानी छिपी है। मिस वर्ल्ड का खिताब जितने के बाद भी प्रियंका को बॉलीवुड में काफी रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। पूरी खबर पढ़ें ….

बॉलीवुड | दैनिक भास्कर

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *